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आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है। जहाँ एकओर आयुर्वेद हमे जीवन जीने की शैली सिखाता है , वही दूसरी ओर वह हमे विभिन्न बीमारियों से निजात पाने के लिए अत्यंत प्रभावी चिकित्सा भी उपलब्ध कराता है। आयुर्वेद स्वयं में एक सम्पूर्ण विज्ञान है। आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर संपूर्ण ब्रम्हांड के साथ समन्वय में कार्य करता। जिस प्रकार ब्रह्माण्ड पांच तत्वों से मिलकर बना है , तरह हमारा शरीर भी पंचमहाभूतों से बना हुआ है। प्रकृति में जो चीजे घटित होती है, वह हमारे शरीर को भी प्रभावित करती है। आयुर्वेदीय जीवनशैली हमें प्रकृति से संतुलन बनाकर रहने की सलाह देती है। इसी क्रम में आयुर्वेद में दिनचर्या और ऋतुचर्या का वर्णन किया गया है। ऋतुचर्या यह शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है। ऋतू अर्थात मौसम तथा चर्या अर्थात रहन सहन का तरीका। इस तरह ऋतुचर्या का अर्थ बदलते हुए मौसम के अनुसार अपने खानपीने के तरीके में बदलाव से है। ऋतुचर्या का महत्व - प्रत्येक ऋतू का अपना स्वभाव होता है एवं वह अपने स्वभाव के अनुरूप ही हमारे शरीर पर अपना प्रभाव दिखाती है। उदाहरण के तौर पर शीत ऋतू में हम यदि आइसक्र